नदी का पानी-हिंदी प्रेरक कथा कहानी:बहुत समय पहले की बात है।किसी गाँव में भोला नाम का एक व्यक्ति रहता था।वह खेतो में खेती करता और खेत के उगे हुए अन्न से ही उसके परिवार का गुजारा चलता था।भोलाने बचपन से ही गरीबी का सामना किया था क्योंकि उसके माता पिता बी बेहद ही गरीब थे।

दिन ऐसे ही बतते जा रहे थे और अब बचे भी बड़े हो गए थे।अब तो उनकी पढाई का खर्च और ऊपर से यह महगाई।भोला हमेशा सोचता जीवन कितना कठिन है!एक परेसानी खत्म नहीं होती की दुसरो परेसानी शरू हो जाती है।पूरा जीवन इन परेशानियों को हल करने में है गुजर जा रहा है।
एक दिन भोला किसी सड़क से गुजर रहा था तभी उसको एक साधु महाराज दिखाई दिए।भोला ने सोचा क्यों ना साधु महाराज के पास जाकर अपनी परेशानियों से बाहर निकलने का समाधान लिया जाये? यही सोच कर भोला उनके पास जाकर अपनी परेशानियॉ बताने लगा “महाराज जीवन कॉटन कठिन है।एक परेसानी खत्म नहीं होतो की दूसरी शरू हो जाती है।महाराज आप मुझे कुछ बताएं कैसे में आपने जीवन का निर्वाह करू?कैसे परेशानियॉ से बाहर निकलू?
यह सुन साधु महाराज हँसकर बोले “तुम मेरे साथ चलो में तुम्हे तुमारी परेशानियॉ का हल बताता हूं।
अब साधु महाराज एक दिशा की और बढे और भोला छनकर पीछे पीछे चल पड़ा।चले चले कुछ देर बाद रास्ते में एक नदी आयी।महाराज वही खड़े हो गए और भोला से बोले “में तुम्हे नदी के दूसरी और जाके तुम्हारी परेसानी का हल बताऊंगा।यह कहकर साधु महाराज वही खड़े हो गये।
बहुत देर खड़े खड़े जब बहुत देर हो गयी तब भोला आश्चर्य से बोला “महाराज हमें तो नदी पार करनी है ना?फिर हम यहाँ कब से क्यों नदी के किनारे खड़े है?हमे नदी पार करनी चाहिए।
यह सुन साधु महाराज ने कहा “में इस नदी का सूखने का इंतज़ार कर रहा हु।जब ये सुख जायेगी तब हम आराम से इस नदी को पर कर लेंगे।
भोला को साधु की बात बड़ी मुतख्तापूर्ण लगी फिर भोला बोला “महाराज नदी का पानी कैसे सुख सकता है?आप कैसी मूर्खतापूर्ण बातें कर रहे है।
यह सुन साधु महाराज हँसकर बोले “यही तो मे तुम्हे समझाना चाहता हु।नदी का पानी कभी नहीं सूखेगा।वो तो बहता ही रहता है।हमारा जीवन भी नदी की तरह है।जब तुमको पता ही की नदी का पानी नहीं सूखने वाला,तब तुमको खुद प्रयास करके नदी को पार करना होगा।वैसे ही हमारे जीवन में समशिया तो चली रहेगी,तुम्हे अपने प्रयासों से इन परेशानियों से बहार निकलना होगा।अगर तुम किनारे बैठे बैठे नदी का सूखने का इंतज़ार करते रहोगे तो जीवन भर तुम कुछ नही कर पाओगे।पानी तो बहता रहेगा परेशानियॉ तो आती रहेगी लेकिन तुम्हे अपनी कोसिसो से नदी की धार चीरते हुए आगे जाना होगा।हर एक समस्या को धरासील करना होगा।तभी तुम जीवन में कुछ कर पाओगे।”
यह सुन भोला को सारी बाते समझ में आ गयी थी।
दोस्तों,हमारी जिंदगी में भी कुछ ऐसा ही होता है।हम हमेशा सोचते है कि यह परेसानी खत्म होगी तो जीवन सूखी होगा,वह परेसानी खत्म होगा तो जीवन सुखी होगा,यह परेसानी सुलझ जाये तब जीवन सुखी होगा।लेकिन मेरे दोस्तों यह समस्या ही नदी का पानी है।नदी तो बहती रहेगी तुमको पार जाना है आपने प्रयासों से आगे बढ़ते जाइये।
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